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मधुबनी लोक चित्रकला पर समकालीन प्रभाव

Journal: INTERNATIONAL JOURNAL OF RESEARCH -GRANTHAALAYAH (Vol.7, No. 11)

Publication Date:

Authors : ;

Page : 222-228

Keywords : मधुबनी; लोक चित्रकला; समकालीन;

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Abstract

आज मधुबनी लोक चित्रकला में कलाकार नित नये प्रयोग कर रहे हैं यह प्रयोग बदलते समय के साथ-साथ स्वाभाविक भी हैं। यह परिवर्तन प्रकृति का शाश्वत् सत्य है। हमारा मानना भी यही है कि कला वही है। जो बदलते समय के साथ परिवर्तित होती रहे, लेकिन अपने मूल स्वरूप को खोने न दे। इसी भावना के साथ आज भी मधुबनी चित्रकला के प्रमुख क्षेत्र जितवारपुर, दरभंगा, पूर्णिया व आस-पास के क्षेत्रों में मधुबनी लोक चित्रकला का अंकन किया जा रहा है। और पहले भी किया जाता रहा है। अगर आज हम दोनों दशकों (पूर्व व वर्तमान) की लोक चित्रकला व उनके कलाकारों की कार्य शैली का गहन अध्ययन करें तो हमें प्राप्त होता है कि लेाक कला शैली कुछ हद तक परिवर्तित हुयी है लेकिन मधुबनी लोक चित्रकला के प्रति भावनात्मकता वही है। ग्रामीण अंचलों में आज भी कुछ महिलाएँ प्राकृतिक चीजों को लेकर कार्य कर रही हैं। वही समकालीन कलाकार समकालीन विषयों को लेकर अपनी कार्य शैली में व्यस्त है। जहाँ पहले मधुबनी लोक चित्रों के विषय मुख्य रूप से देवी-देवता व प्रकृति से सम्बन्धित रहे हैं। मधुबनी लोक चित्रकला का प्रयोग पहले महिलाएँ अपने घरों की दीवारों व आँगनों को सजाने के लिये करती थी। यहाँ की महिलाएँ अपनी कल्पना से ऐतिहासिक, धार्मिक व आध्यात्मिक विषयों को अपनी कला में समाहित करती है। धार्मिक लोक जीवन मधुबनी लेाक चित्रों के मुख्य विषय-वस्तु रहे हैं। मधुबनी क्षेत्र का छोटा सा गाँव जिलवारपुर इस कला का केन्द्र रहा है।

Last modified: 2020-01-08 17:05:17