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आत्मकथा की संस्कृति और हिन्दी आत्मकथाएँ

Journal: Praxis International Journal of Social Science and Literature (Vol.3, No. 11)

Publication Date:

Authors : ;

Page : 31-35

Keywords : हिन्दी साहित्य; आपबीती; सम्पूर्ण व्यक्तित्व; जीवन संघर्ष; स्मृति;

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Abstract

आत्मकथा हिन्दी गद्य की की एक ऐसी विधा है जिसमें रचनाकार अपने जीवन से जुड़ी स्मृतियों को निष्पक्षता के साथ पाठक-वर्ग के समक्ष प्रस्तुत करता है । आत्मकथा का शाब्दिक अर्थ है – आपबीती, अपने जीवन की कथा । आत्मकथा को विभिन्न शब्दकोशों और विभिन्न विद्वानों द्वारा अलग-अलग ढंग से परिभाषित किया गया है। आत्मकथा की परिभाषा डॉ. नगेन्द्र इस प्रकार देते हैं – “आत्मकथाकार अपने सम्बन्ध में किसी मिथक की रचना नहीं करता कोई स्वप्न सृष्टि नहीं रचता, वरन् अपने गत जीवन के खट्टे-मीठे, उजाले, अँधेरे, प्रसन्न-विषण्ण, साधारण-असाधारण संचरण पर मुड़कर एक दृष्टि डालता है, अतीत को पुन: कुछ क्षणों के लिए स्मृति में जी लेता है और अपने वर्तमान तथा अतीत के मध्य सूत्रों का अन्वेषण करता है।

Last modified: 2021-06-23 21:44:13