मानव स्वास्थ्य एवं प्रदूषण
Journal: INTERNATIONAL JOURNAL OF RESEARCH -GRANTHAALAYAH (Vol.3, No. 9)Publication Date: 2015-09-29
Authors : गीताली सेनग ुप्ता;
Page : 1-5
Keywords : मानव स्वास्थ्य एवं प्रदूषण;
Abstract
‘‘स्वस्थ्य शरीर में ही स्वस्थ्य मन का निवास होता ह ै।'' उत्तम स्वास्थ्य प ्रत्येक मन ुष्य के लिए अम ूल्य निधि है, दीर्घ आयु एव ं उत्तम स्वास्थ्य का अट ूट ब ंधन है। इस संदर्भ में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा दी र्गइ परिभाषा सर्वमान्य है -'' स्वास्थ्य संप ूर्ण शारीरिक, मानसिक व सामाजिक निरोगता की अवस्था हैं तथा मात्र बीमारी या द ुर्बलता की अन ुपस्थिति को स्वास्थ्य नही माना जा सकता है।'' अर्था त स्वास्थ्य एक सामान्य व्यक्ति क े लिए स्वस्थ्य वातावरण में, स्वस्थ्य परिवार मे ं, स्वस्थ्य शरीर में स्वस्थ्य दिमाग का वास है। प्राकृतिक वातावरण की संुदरता प ेड ़ - पौधे, जीव - जंत ुआ े, नदी - तालाब, पर्वत - सागरों से बनती बिगड ़ती हैं। पर्यावरण आ ैर मन ुष्य का अट ूट ब ंधन है। प्रद ूषण की समस्या विश्वव्यापी हैं इस विकराल एव ं भयावह समस्या न े जन जीवन को संकट में डाल दिया है स्थानीय संगठनों व व्यक्तियों से लेकर संयुक्त राष्ट ªसंध यू.एन.ओ. तक इस समस्या से चिति ंत ह ै। यह समस्या म ुख्य रूप स े विज्ञान की द ेन है। आज स्थिति इतनी विकराल है कि मन ुष्य शुध्द हवा के लिए तरसता है, उसका जीना द ूभर हो रहा ह ै, तथा प्राकृतिक ऋत ु चक्र म ें भी परिवर्त न हो गया है, जिसका मानव स्वास्थ्य पर ब ुरो प ्रभाव द ेखा जा रहा ह ै और वह का ेई न कोई बीमारी से अवश्य ही ग्रसित पाया जाता ह ै।
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Last modified: 2017-09-25 18:35:45