मानव स्वास्थ्य एवं प्रदूषण
Journal: INTERNATIONAL JOURNAL OF RESEARCH -GRANTHAALAYAH (Vol.3, No. 9)Publication Date: 2015-09-29
Authors : प्रतिभा वर्मा; अलका कटियार;
Page : 1-2
Keywords : मानव स्वास्थ्य एवं प्रदूषण;
Abstract
पर्यावरण का तात्पर्य समूचे भा ैतिक एव ं ज ैविक विश्व से है। जिसमें जीवधारी रहत े हैं, बढ ़त े हैं, पनपत े हैं और अपनी स्वाभाविक प ्रवृत्तियों का विकास करत े हैं। सत्य तो यह है कि जीवन का अस्तित्व मूलतः पर्या वरण पर निर्भर है। पर्यावरण के किसी भी तत्व के भा ैतिक, रासायनिक अथवा ज ैविक विशेषताओं म ें परिवर्त न जा े मानव या अन्य प ्राणियो ं के लिए हानिकारक हो पर्यावरण प ्रद ूषण कहलाता है। पर्यावरण प्रद ूषण आज एक विश्वव्यापी समस्या का रूप ले च ुका ह ै आ ैर भारत में भी यह समस्या विविध रूपा ें में द ृष्टिगत होती ह ै। आ ैद्या ेगिक एव ं तकनीकी विकास, तीव्र जनसंख्या वृद्धि, शहरीकरण आदि के कारण पर्यावरण के दबाव में निरन्तर बढ ़ोतरी होन े लगी। आज सबसे बड ़ी आवश्यकता है ‘‘विनाश रहित विकास'' किन्त ु मानवीय क्रियाकलापों से पर्यावरणीय अस ंत ुलन बढ ़ता ही जाता है जिससे पर्यावरण प्रद ूषित हो जाता ह ै और मानव सहित अन्य प्राणिया ें एव ं वनस्पतियों का अस्तित्व खतर े में पड ़ता जा रहा ह ै। पर्या वरण प्रद ूषण मानवीय स्वास्थ्य को प ्रभावित करता है जिससे घातक रोग उत्पन्न हा ेत े है ं।
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Last modified: 2017-09-25 19:12:19