समकालीन चित्रकला में किशनचन्द आर्यन जी का योगदान
Journal: INTERNATIONAL JOURNAL OF RESEARCH -GRANTHAALAYAH (Vol.7, No. 11)Publication Date: 2019-11-30
Authors : डॉ. अनन्ता शॉडिल्य;
Page : 216-221
Keywords : चित्रकला; किशनचन्द; योगदान;
Abstract
कला मनीषी, चित्रकार, मूर्तिकार, कला आलोचक, कला इतिहास लेखक, कवि मन के संवेदनशील छोटे से कद के आकर्षक व्यक्तित्व वाले किशनचन्द आर्यन पंजाब के वरिष्ठ कलाकार में से एक हैं कला परिवार में जन्मे आर्यन जी पर शैशवावस्था से ही कला के अंकुर विद्यमान थे। आपका जन्म सन् 1919 ई0 में अमृतसर (पंजाब) में हुआ। सन् 1934 में आपने अपनी स्कूली शिक्षा समाप्त की और सन् 1937 में एक व्यावसायिक कलाकार के रूप में अपनी जीवन-शैली आरम्भ की। आप स्वयं निर्मित कलाकार हैं जिन्हें कला के क्षेत्र में स्थान बनाने के लिए आरम्भ से ही बहुत संघर्ष करना पड़ा सन् 1941 में लाहौर में आपने अपनी कार्यशाला आरम्भ की आपको भारतीय ऐतिहासिक घटनाओं ने प्रेरित किया जिससे प्रभावित होकर आपने यूरोपियन तकनीक में ऐतिहासिक घटनाओं को यथार्थ शैली में परिदृश्य चित्रित किए आपके आरंभिक चित्र अधिकांश यथार्थ शैली में ही चित्रित है।
आर्यन जी ने सन् 1948 से सन् 1952 के मध्य एक विशिष्ट कला संदर्भ वाली “रेखा” नामक पुस्तक लिखी । जिसमें आलेखन और प्रतीकों पर विशेष कार्य किया साथ ही देवनागरी लिपि को लिपि बाध्य करने का विशेष कार्य किया। सन् 1953 से आप अपनी शैली में परिवर्तन लाए और आपने आधुनिक कला शैली में कार्य करना आरम्भ कर दिया सन् 1958 में आरएनजी ने यूरोप और इंग्लैंड की यात्रा भी की साथ ही ईरान, इराक अफगानिस्तान, जॉर्डन आदि क्षेत्रों में भी कला का अध्ययन किया जहां आपने भारतीय कला और संस्कृति की परंपराओं को खोजने का प्रयास किया। आप का मानना है कि बेरूत में भी बहुत कुछ भारतीय संस्कृति की छाप है।
Other Latest Articles
- DIAGNOSTIC VALUE OF THE TRANSFORMING GROWTH FACTOR (TGFΒ) AND DENDRITIC CELLS (CD1Α) RECEPTORS EXPRESSION IN THE THYROID GLAND
- Antibacterial Activities of Lactic Acid Bacteria from Langsat Fruit (Lansiumdomesticum) against Phatogenic Bacteria and Spoilage Bacteria
- THE COMPOSITION OF THE PANCREATIC DUCTAL SECRETION IN CHRONIC PANCREATITIS INFLUENCE OF ALCOHOLIC ETIOLOGY
- काव्यचित्र एवं चित्रकाव्य
- राजस्थान के समकालीन कलाकारों पर लघु चित्रकला का प्रभाव
Last modified: 2020-01-08 17:03:04