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नृत्य में मूर्तिकला व चित्रकला के तत्वों का सौन्दर्य

Journal: INTERNATIONAL JOURNAL OF RESEARCH -GRANTHAALAYAH (Vol.7, No. 11)

Publication Date:

Authors : ;

Page : 274-276

Keywords : मूर्तिकला; सौन्दर्य; नृत्य;

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Abstract

नृत्यकला के साथ शिल्प व चित्रकला के तुलनात्मक अध्ययन में स्पष्ट हो जाता है कि इन कलाओं के कतिपय पक्ष भारतीय नृत्यकला की तकनीक के आवश्यक अंग है तथा इसमें इन सभी कलाओं (प्रमुख रूप से ललित कलाओं) के मुख्य गुण समाहित है। नाट्‌यशास्त्र आदि ग्रन्थों में जो प्रमाण उपलब्ध है उससे यह स्पष्ट होता है कि ईस्वी सन्‌ के प्रारम्भ से ही मूर्तिकला, चित्रकला, काव्य, नाट्‌य नृत्य संगीत आदि को मात्र शिल्प कौशल या छन्द से बनी रचनाओं की अपेक्षा श्रेष्ठ और महत्त्वपूर्ण माना जाने लगा था, चूंकि इन कलाओं से प्रक्षेपित होने वाला भाव अधिक सुखद एवं हृदय को आनंद देने वाला था तथा जिसकी अनुभूति अधिक अर्थपूर्ण भी थी इसीलिए इन कलाओं को श्रेष्ठतम का दर्जा दिया गया और इन्हें ललित कलाएं कहा गया।

Last modified: 2020-01-09 16:52:47