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बौद्ध-धम्म में ‘नवयान’ दर्शन परम्परा

Journal: Praxis International Journal of Social Science and Literature (Vol.4, No. 6)

Publication Date:

Authors : ;

Page : 47-52

Keywords : विवेक सम्मत धम्म; नवयान दर्शन परंपरा; लोकतांत्रिक धम्म सम्मत समाज; नवयान रीति रिवाज और कर्मकांड;

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Abstract

मानव सभ्यता के विज्ञान सम्मत आधुनिक नागरिक समाजों में धर्म सेक्युलरवाद के बरअक्स खड़ा नज़र आता है। समाज वैज्ञानिकों का एक बड़ा धड़ाधर्मको विज्ञान सम्मत ही नहीं मानता बल्कि वह धर्म को अंधविश्वास, पाखंड, पिछड़ेपन आदि से जोड़कर देखते हैं ख़ासकर आधुनिक लोकतंत्र में तो इसके विकल्पसेकुलरवाद को देखते हैं। लेकिन भीम राव अम्बे‍डकर भारत आधुनिक होते लोकतंत्र में धम्म की प्रासंगिकता मानते हैं और मानव समाज के लिए एक धर्म (धम्म) की ज़रूरत पर ज़ोर देते हैं जो समानता, स्वतंत्रता और भाइचारे पर आधारित हो। और ऎसा धर्म वह हिन्दू, ईसाई, मुस्लिम धर्म नहीं बल्कि बौद्ध धम्म मानते हैं लेकिन वह बौद्ध धम्म को भी यथावत स्वीकारने को तैय्यार नहीं थे जिसके परिणामस्वरूप वह धम्म के आधुनिक स्वरूप को ध्यान में रखते हुए नवयान दर्शन की व्याख्या करते हैं।

Last modified: 2021-06-19 16:54:15