मॉरिशस की संस्कृति और संवेदना : एक विहंगम दृष्टि
Journal: Praxis International Journal of Social Science and Literature (Vol.4, No. 3)Publication Date: 2021-03-18
Authors : अशोक कुमार सखवार;
Page : 51-54
Keywords : मॉरिसश; संस्कृति; त्योहार; संवेदना; गिरमिटिया; मेनतकश; मजदूर; किसान; भारतवासी।;
Abstract
भारतीय वासियों को अंग्रेजों के द्वारा लगभग सन् 1935 से सन् 1920 तक बेहतर जीवन-यापन का लोभ लालच देकर मॉरीशस लाया गया । मॉरीशस में उनके साथ वर्षों तक अमानवीय व्यवहार किया गया। भारत से मॉरीशस जब वे गए तब उनके पास अपनी अस्तित्व की रक्षा के लिए सिर्फ भाषा, संस्कृति, लोककथाएँ और लोकगीत की कुछ ध्वनियाँ थी । प्रस्तुत शोध-पत्र में उन्होंने अपनी मातृभाषा और संस्कृति-सभ्यता को विपरीत परिस्थिति में संरक्षित रख कर तथा उसी से अपने दुःख-दर्द को सहने एवं संगठित रहने की प्रेरणा कैसे प्राप्त की? का संवेदनात्मक वर्णन है । मॉरीशस में भारतीय मूलनिवासी अपनी मेहनत और सूजबूज के आधार पर समृद्धि एवं समानजनक जीवान-यापन कर रहें हैं उसमें उनकी संस्कृति और संगठन शक्ति का बहुत बड़ा योगदान है । मॉरीशस में विभिन्न धर्मों तथा संस्कृतियों के मानने वाले लोग रहते है। जिसमें बहुसंख्यक आवादी हिन्दुओं की है । वहाँ सभी संप्रदायों और धर्मों के लोग एक-दूसरे की स्वतंत्रता का ख्याल रखते हैं तथा एक-दूसरे के सार्वजनिक त्योहारों एवं उत्सवों में भी शामिल होते हैं ।
Other Latest Articles
Last modified: 2021-06-21 01:53:03