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भारतीय-दर्शन: त्रैतवादी दर्शन (स्वामी दयानंद के विशेष संदर्भ में)

Journal: Drashta Research Journal (Vol.1, No. 03)

Publication Date:

Authors : ;

Page : 11-24

Keywords : त्रौतवाद; ईश्वर; प्रकृति; जीव; सुख-दुख; अज्ञान; सृष्टि; अव्यक्त।;

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Abstract

जगत् में दार्शनिकों की तत्वों की संख्या को मानने की विविध्तापूर्ण परंपरा रही है। आज तक मूल तत्वों की संख्या भौतिकवादी व अध्यात्मवादी दार्शनिकों के मतानुसार एक से लेकर सैकड़ों तक मानने की रही है, लेकिन फिर भी सर्वाधिक दार्शनिक तीन तत्वों, ईश्वर, जीव व प्रकृति को मानते रहे हैं। भारतीय-दर्शन में भी मूल-तत्वों के संबंध् में कई मत मौजूद हैं। त्रैतवाद, द्वैतवाद, अद्वैतवाद, विशिष्टाद्वैतवाद, अचिंत्यभेदवाद आदि अनेक मत भारतीय-दर्शन में उपलब्ध् होते हैं। ‘त्रैतवाद' की परंपरा वेदों से लेकर आस्तिक दर्शनों तक अविच्छिन्न रूप में चली आई है।

Last modified: 2025-04-12 22:24:03