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अहीरवाल के लोकगीतकार

Journal: Swadeshi International Research Journal of Hindi Literature (Vol.1, No. 2)

Publication Date:

Authors : ;

Page : 12-19

Keywords : भावनुकूलता; प्रवाहमयता; विधवा-विवाह; समाज सुधार;

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Abstract

‘अहीरवाल' अंचल की लोकभाषा ‘अहीरवाटी' कहलाती है। इस बोली में ब्रज का माधुर्य तथा राजस्थानी व हरियाणवी का ओज घुलमिलकर ए्कीकार हो गया है। इस अंचल के लोकगीतों में­ ­ बड़ा माधुर्य है जो ब्रज के रसिये, राजस्थानी नहड़े तथा हरियाणवी रागनियों के समान श्रोता के चित्त में­ असीम आनंद उत्पन्न करते हैं। अहीरवाल की राग-रागनियाँ रस से भरी पिचकारियाँ हैं, जिसके छूटते ही श्रोता सराबोर हो जाता है।

Last modified: 2025-04-12 23:57:15