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धूमिल के काव्य में­ आम आदमी

Journal: Swadeshi International Research Journal of Hindi Literature (Vol.1, No. 2)

Publication Date:

Authors : ;

Page : 20-23

Keywords : शोषण; अन्याय; क्रांति; रचनाकार; मनःस्थिति ।;

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Abstract

धूमिल ने व्यक्तिगत जीवन की कठिन परिस्थितियों को झेला है । वह आम आदमी के प्रति हमेशा चिंतित रहते थे जो उनकी कविताओं में स्पष्ट दिखाई देता है । धूमिल की दृष्टि में­ गांव के महाजन शोषक के रूप में­ है और उनका शिकार गांव का खेतिहर इंसान है जो दिन भर खून पसीना एक करके काम करता है फिर शाम के वक्त जमीदारों की गालियों­ की बौछार सहता है ।

Last modified: 2025-04-13 00:00:40