धूमिल के काव्य में आम आदमी
Journal: Swadeshi International Research Journal of Hindi Literature (Vol.1, No. 2)Publication Date: 2013-09-15
Authors : डाॅ॰ सरिता रानी;
Page : 20-23
Keywords : शोषण; अन्याय; क्रांति; रचनाकार; मनःस्थिति ।;
Abstract
धूमिल ने व्यक्तिगत जीवन की कठिन परिस्थितियों को झेला है । वह आम आदमी के प्रति हमेशा चिंतित रहते थे जो उनकी कविताओं में स्पष्ट दिखाई देता है । धूमिल की दृष्टि में गांव के महाजन शोषक के रूप में है और उनका शिकार गांव का खेतिहर इंसान है जो दिन भर खून पसीना एक करके काम करता है फिर शाम के वक्त जमीदारों की गालियों की बौछार सहता है ।
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Last modified: 2025-04-13 00:00:40