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पर्यावरण प्रबन्धन एव ं समाज

Journal: INTERNATIONAL JOURNAL OF RESEARCH -GRANTHAALAYAH (Vol.3, No. 9)

Publication Date:

Authors : ;

Page : 1-2

Keywords : पर्यावरण प्रबन्धन एव ं समाज;

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Abstract

मानव और पर्या वरण का निकट का सम्बन्ध है। पर्यावरण मानव का े प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है। स्वावलम्बी विकास की अवधारणा पर्यावरण एव ं विकास नीतियों के एकीकृत नजरिये पर आधारित है जिनका अभिप्राय किसी पारिस्थितिक क्षेत्र से अधिकाधिक आर्थिक लाभ लेना एव ं पर्यावरण के संकट एव ं जोखिम को न्यूनतम करना ह ै। इसम ें अन्तर्नि हित है, वर्त मान की आवश्यकताओं एव ं अप ेक्षाओं को भविष्य की क्षमताओं स े समझौता किय े बिना प ूरा करना। इसको प्राप्त करन े के लिये हमें विकास का पारिस्थितिक समन्वय करना होगा जिसमें हमें अपनी प्राथमिकताओं का प ुनर्नि न्यास करना चाहिये तथा एक आयामी प ्रतिमान छा ेड ़ द ेना चाहिये जो कि वृद्धि का े कतिपय सीमित द ृष्टिका ेंण से द ेखता है, जिसम ें व्यक्ति के बजाय वस्त ुओ ं का े उच्चतर स्थान दिया जाता है जिसन े हमार े सुख की बजाय हमारी आवश्यकताओं में व ृद्धि कर दी ह ै। अतः पर्यावरण प ्रब ंधन की आवश्यकता आज की प ्राथमिक आवश्यकता ह ै जिसके द्वारा न केवल संसाधनों का युक्ति संगत उपया ेग हो सके, अपित ु क्षेत्रीय आवश्यकताआ ें को प ूर्ण करन े एव ं पर्या वरण की क्रियाआ ें म ें सामंजस्य स्थापित किया जा सके और आवश्यकता होन े पर उपयोग सीमित किया जा सके। पर्यावरण प्रब ंधन का मूल उद ्द ेश्य प्राकृतिक संसाधनों का य ुक्तियक्त उपयोग, शारीरिक एव ं मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा, आर्थि क मूल्यों को नई दिशा प्रदान करना तथा शुद्ध पर्यावरण प्रदान करना है।

Last modified: 2017-09-27 19:06:32