उषा प्रियंवदा का कथा साहित्य और स्त्री मनोविज्ञान
Journal: RIVISTA (Vol.1, No. 1)Publication Date: 2017-08-01
Authors : Hussaini Bohra;
Page : 41-50
Keywords : आधुनिक; मनोविज्ञान; उपन्यास; स्त्री; उषा प्रियवंदा;
Abstract
मनोविज्ञान सामान्य स्वस्थ व्यक्ति का अध्ययन करता है, वह केवल शारीरिक अध्ययन न करके मनुष्य के आन्तरिक भावों, विचारों के द्वन्द्व आदि का अध्ययन करता है। आधुनिक युग में मनोविज्ञान की उपादेयता को अस्वीकार नहीं किया जा सकता। मनोविज्ञान आज के उपन्यास के लिए अत्यावश्यक तत्त्व हो गया है। उपन्यास में कई ऐसे मनोवैज्ञानिक तत्त्वों का सहज समावेश हो गया है कि हम उनको मनोविज्ञान से पृथक् नहीं कर सकते। उपन्यास एक ऐसी विधा है जो कि जीवन मूल्यों की अभिव्यक्ति के लिए वृहत्तर फलक प्रस्तुत करता है। मानव जीवन के सभी रहस्यों को पूर्णता के साथ प्रस्तुत करता है। आज की महिलाओं का उपन्यास लेखन जिस मुकाम पर है, वह गुणवत्ता और परिणाम दोनों ही दृष्टि से अत्यन्त समृद्ध है। हिन्दी कथा यात्रा में उषा प्रियंवदा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने अपने उपन्यासों में महानगरीय जीवन के संत्रास और आधुनिक जीवन शैली से उत्पन्न समस्याओं को अपनी पैनी नजर से देखा-परखा है। उनके कथा साहित्य में स्त्री की मनोवैज्ञानिक संवेदनाओं को पूर्ण अभिव्यक्ति प्रदान की गई है।
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Last modified: 2017-08-21 00:07:41