जलवायु परिवर्तन आ ैर मध्यप्रदेश
Journal: INTERNATIONAL JOURNAL OF RESEARCH -GRANTHAALAYAH (Vol.3, No. 9)Publication Date: 2015-09-29
Authors : अभय ज ैन;
Page : 1-3
Keywords : जलवायु परिवर्तन आ ैर मध्यप्रदेश;
Abstract
विकास आ ैर पर्यावरण के बीच स ंत ुलन की बात लम्ब े समय से चली आ रही है, लेकिन विकास चक्र के चलत े कहीं न कहीं पर्या वरण की अनद ेखी होती आ रही है आ ैर ए ेसी स्थितियाँ आज हमार े सामन े चुना ैती एव ं सकंट के रूप म ें है। अन ेक स ंकल्प, वाद े, नीतियाँ आ ैर कार्यक्रम आदि के क्रियान्वयन के बावजूद भी पर्यावरण चुनौतियाँ हमार े सामन े ह ै। मौसम म ें बहुत अधिक उतार-चढ ़ाव हो रहे है, अधिक बरसात या सूखा पड ़ना संया ेग नहीं बल्कि पर्या वरण परिस्थितियों में आ रहे खतरनाक बदलाव के सूचक और परिणाम ह ै। जलवायु परिवर्त न से निपटना न केवल हमार े स्वास्थ्य के लिये बल्कि आन े वाली पीढि ़या ें के स्वास्थ्य को लाभ पहुँचान े के लिये सर्वाधिक महत्वप ूर्ण है। जलवायु परिवर्त न का सबसे ज्यादा प्रभाव गरीबों और समाज क े निचले तबको पर पड ़ता ह ै क्योंकि उनके पास साधन सीमित होत े है। जलवायु परिवर्त न की वजह से कृषि पर काफी नकारात्मक असर पड ़ा है। जिससे प ैदावार में कमी के कारण खाद्यान्न की समस्या उत्पन्न हा े रही है। क ृषि सुविधाओं के विस्तार, अन ुसंधान व विकास पर विचार करना जरूरी ह ै, क्योंकि बढ ़त े वैश्विक तापमान न े मौसमी घटनाआ ें की भयावहता, फसलों का न ुकसान, पानी की कमी एव ं अन्य स ंकटों मंे वृद्धि की है। जलवाय ु परिवर्त न के कारण होन े वाली विनाशलीला के प्रवाह को रोकन े के लिये क्रांतिकारी निर्णय लेन े की आवश्यकता ह ै। पर्यावरण संरक्षण क े लिए कान ून तो उपलब्ध ह ै किन्त ु उनका समुचित पालन और जन चेतना को अधिक सक्रिय करन े की आवश्यकता है ताकि विकास आ ैर पर्यावरण मंे संत ुलन बना रहे।
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Last modified: 2017-09-25 18:37:16