पर्यावरण संरक्षण एव ं हिन्दू धर्म
Journal: INTERNATIONAL JOURNAL OF RESEARCH -GRANTHAALAYAH (Vol.3, No. 9)Publication Date: 2015-09-29
Authors : ममता का ेठारी;
Page : 1-2
Keywords : पर्यावरण संरक्षण एव ं हिन्दू धर्म;
Abstract
पर्यावरण के अन्तर्गत वायु जल भूमि वनस्पति प ेड़ पौधे, पशु मानव सब आत े है । प ्रक ृति में इन सबकी मात्रा और इनकी रचना कुछ इस प्रकार व्यवस्थित है कि प ृथ्वी पर एक संत ुलनमय जीवन चलता रह े । विगत करोंड ़ांे वर्षो से जब से पृथ्वी मन ुष्य पशुपक्षी और अन्य जीव-जीवाणु उपभा ेक्ता बनकर आये तब से, प्रकृति का यह चक्र निर ंतर और अबाध गति से चल रहा ह ै । जिसको जितनी आवष्यकता है व प्रकृति से प्राप्त कर रहा है आ ैर प्रक ृति आगे के लिये अपन े में और उत्पन्न करके संरक्षित कर लेती है । मानव इतिहास का अवलोकन कर े तो आज स े प ंाॅच सौ सात सा ै वर्ष प ूर्व मन ुष्य प ्रकृति के समीप था । प्रक ृति से मिले भोजन पर सामान्य आश्रित था , वह उसका सुखमय जीवन था, जब जल वायु निरापद थे । लेकिन धीर े-धीर े समय के साथ परिवर्त न हुवा आ ैर मन ुष्य मंे सुखमय जीन े की लालसा में वृद्धि हुई । विज्ञान की प्रगति के साथ मन ुष्य न े प्राकृतिक चक्र में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया । इसका द ूष्प्रभाव यह ह ुवा कि मन ुष्य की प्राथमिक आवष्यकताओं की वस्त ुए ें जल, वायु भोजन का अभाव होन े लगा । प्रकृति के अपार भण्डार दिन प्रतिदिन कम होन े लगे आ ैर प ्रद ुषण शब्द का उदय हुवा । पर्यावरण संरक्षण की आवष्यकता होन े लगी ।
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Last modified: 2017-09-27 18:49:43