मध्य प्रदेश क े नगरा ें म े पर्यावरणीय समस्यायंे
Journal: INTERNATIONAL JOURNAL OF RESEARCH -GRANTHAALAYAH (Vol.3, No. 9)Publication Date: 2015-09-29
Authors : सविता क ेशरवानी;
Page : 1-4
Keywords : मध्य प्रदेश क े नगरा ें म े पर्यावरणीय समस्यायंे;
Abstract
भौगोलिक द ृष्टि से मध्य प्रद ेश भारत का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है जिसकी क ुल जनसंख्या 7 करोड़ 25 लाख है तथा नगरीय जनसंख्या 20069806 है मध्य प्रदेश मे नगरीकरण अन ुपात 27.63ः है। जो राष्ट्रीय अन ुपात से कम है। पर ंतु क ुल नगरीय जनसंख्या की द ृष्टि से भारत क े कई राज्यों की क ुल जनसंख्या से भी ज्यादा है। वर्तमान मे मध्य प्रद ेश मे प्रशासनिक रूप से 51 जिलों मे क ुल 242 तहसील तथा 313 विकासखण्डों मे विभक्त है। राज्य के 14 जिलों मे नगर निगम है तथा क ुल नगरो की संख्या 476 है। मध्य प्रदेश मे 4 महानगरों की जनसंख्या 10 लाख से ज्यादा है तथा 28 नगर ऐसे हैं जिनकी कुल जनसंख्या 1 लाख से 10 लाख क े बीच है। ज्ञातव्य हो की राज्य मे 1 लाख से ज्यादा जनसंख्या वाले नगरों की क ुल नगरीय जनसंख्या का अन ुपात 60ः से ज्यादा है। पर ंतु राज्य मे नियोजित और रणनीतिक विकास क े आभाव मे कई प्रकार की पर्यावरणीय समस्याएं सामने आई हैं जिसके परिणाम स्वरूप नगरों मे आर्थिक, सामाजिक, और सास्क ृतिक विकास की गति धीमी पड़ी है। वर्तमान मे राज्य क े नगरों मे पर्यावरणीय समस्याओं मे जल प्रद ूषण, वायु प्रद ूषण, मृदा प्रद ूषण, मलवा निस्तारण की समस्या, जल निकासी की समस्या, जल भराव, अम्ल वर्षा , क ुहासा और उष्मा द्वीप क े रूप मे उभर रही है। जिससे पर्यावरण अवनयन, विकिरण, बीमारियाॅ, प्रजातियों का विलोपन जैसी समस्याएं उभर रही है। प्रस्तुत शोध पत्र म े उपर्यु क्त समस्याओं क े कारण, प्रभाव और उसक े निदान हेत ु रणनीतिक सुझाव दिया गया है जिसके क्रियान्वयन से नगरों की ये समस्याएं कम की जा सकती है ं और विकास क े समावेशी स्वरूप प्रदान किया जा सकता है जो न क ेवल नगरीय पर्यावरण को सीमित करेगा वरन समग्र पर्यावरण और पारिस्थितिक संतुलन को बल प्रदान कर ेगा।
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Last modified: 2017-09-27 18:58:01