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पर्यावरण संरक्षण एव ं मानवीय स ंवेदना आज के संदर्भ म ंे

Journal: INTERNATIONAL JOURNAL OF RESEARCH -GRANTHAALAYAH (Vol.3, No. 9)

Publication Date:

Authors : ; ;

Page : 1-2

Keywords : पर्यावरण संरक्षण एव ं मानवीय स ंवेदना आज के संदर्भ म ंे;

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Abstract

ाानव एव ं प्रकृति एक द ूसर े के प ूरक हैं। मन ुष्य का जीवन प्रकृति अर्थात ् पर्यावरण संरक्षण के बिना संभव नही ं है। मन ुष्य की आत्मके ंदि ्रत सोच के कारण प ्रकृति का दोहन करत े हुए उसन े संरक्षण का विचार त्याग दिया। कटत े हुए व ृक्ष, प ्रद ूषित होती हुई नदियाँ, सूखत े ह ुए कुँए, धुँए और धूलका ग ुबार बनती हुई हवा, कीटनाशका ें के जहर से भरी हुई खाद्य सामग ्री, मन ुष्य की सूखती हुई संव ेदना की कहानी कह रहे है ं। हम सब प्रक ृति की संतान ह ै। पँचतत्वों स े निर्मित है, हमारा शरीर: भूमि, वायु, जल, आकाश एव ं अग्नि। ये पाँच तत्व ही पर्यावरण है ं। इनमंे से एक भी यदि प ्रद ूषित होता ह ै तो मानव जीवन भी प ्रभावित हा ेता है। “माता भूमिः प ुत्रो अहं पृथिव्याः।

Last modified: 2017-09-27 19:00:31