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‘धार’ उपन्यास और कोयलांचल से हीरे की भांति उभरती मैना

Journal: Praxis International Journal of Social Science and Literature (Vol.4, No. 2)

Publication Date:

Authors : ;

Page : 35-38

Keywords : आदिवासी समाज; शोषणतंत्र; अस्मिता; पूंजीपति व्यवस्था।;

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Abstract

सांजीव का ाईपन्यास ‘धार' वततमान समय में ाअददवासी जीवन की समस्याओं को ाईद्घाटित करता है। ाआस ाईपन्यास की पात्र मैना के माध्यम से सांजीव एक प्रततरोध रचते हैं। मैना ाऄपने ाऄतधकारों के प्रतत सचेत है और शोषण की सांस्कृतत का खुलकर तवरोध करती है। जहााँ एक तरफ वह तपतृसत्ता से लडती है वहीाँ दूसरी तरफ शोषणकारी पूांजीवादी व्यवस्था से। प्रस्तुत ाअलेख सांजीव के धार ाईपन्यास की साहसी और तवद्रोतहणी पात्र मैना को समझने में मदद करेगा।

Last modified: 2021-06-21 23:54:27