प्रेमचंद के उपन्यासों में स्त्री-पात्रों के आर्थिक पक्ष का अध्ययन
Journal: Praxis International Journal of Social Science and Literature (Vol.4, No. 1)Publication Date: 2021-01-15
Authors : रवि यादव;
Page : 44-48
Keywords : आर्थिक सशक्तिकरण; स्त्री शिक्षा; स्वावलंबी; आर्थिक समानता; आत्मनिर्भरता; पश्चिमी सभ्यता।;
Abstract
हिंदी कथा साहित्य के सम्राट कहे जाने वाले प्रेमचंद ने कुल 11 उपन्यासों का सृजन किया।जो निम्न है:- सेवासदन, प्रेमाश्रम, वरदान, रंगभूमि, कायाकल्प, निर्मला, प्रतिज्ञा, गबन, कर्मभूमि, गोदान, मंगलसूत्र (अपूर्ण)। प्रेमचंद ने अपने पूरे कथा साहित्य में स्त्री-पात्रों का बडा सशक्त सृजन किया है। स्त्री पात्रों के सभी रूपों का नि:दर्शन उनके उपन्यासों में देखा जा सकता है। स्त्री-पात्रों के आर्थिक पक्ष का अध्ययन से यह विदित होता है कि प्रेमचंद ने महिलाओं को आर्थिक,सामाजिक रूप से सबल स्वावलंबी बनाने एवं स्त्री शिक्षा तथा स्त्री अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए विशेष बल दिया है, ताकि नए युग में नारी के ऊपर से भौंडे, कृतिम और अविश्वास पूर्ण आवरण को उतारा जा सके और स्त्री को सशक्त बनाया जा सके। प्रेमचंद का मानना है कि जब तक स्त्री शिक्षित नहीं होगी तब तक वह अपने अधिकारों के लिए कानूनी लड़ाई नहीं लड़ सकती तथा अपने अधिकारों की मांग नहीं कर सकती है।
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Last modified: 2021-06-22 00:35:38