ResearchBib Share Your Research, Maximize Your Social Impacts
Sign for Notice Everyday Sign up >> Login

पोस्ट बॉक्स नं. 203 नाला सोपारा में चित्रित किन्नर समाज और उनका जीवन संघर्ष

Journal: Praxis International Journal of Social Science and Literature (Vol.3, No. 11)

Publication Date:

Authors : ;

Page : 63-68

Keywords : अविकशित जननांग; मर्मांतक; अभिलाषा; निष्कलुष; वात्सल्य; अस्तित्व; पैबन्दम;

Source : Downloadexternal Find it from : Google Scholarexternal

Abstract

किन्नर को मानव समाज में सम्मान की प्राप्ति ही उनके जीवन का अहम् हिस्सा होता है। जिससे उनके कुण्ठितमन को समाज की मुख्य धारा में शामिल करने का मानव समाज का एक अहं जिम्मेदारी है, जिसमें एक किन्नर अपने जीवन में प्राप्त उन समस्त कठिनाइयों का वर्णन एक अपने पात्र के माध्यम से मानव समाज के सामने उपस्थित करने का प्रयास किया है । जिसमें वे सरकारी सुविधाओं से भी वंचित रहजातेहैं। इतना ही नहीं जिस परिवार मेंवे जन्म लेते हैं, उस परिवार को भी लोग उपेक्षित दृष्टि से देखतें हैं। परिणामतः वह परिवार में निंदा का पात्र बन जाता है जिसके कारण उसे घर से निकलना पड़ता है। समाज को अपने खोखले नजरिए को बदलना होगा, उन्हें अपने ही घर-परिवार में रखना होगा, उन्हें सरकार की सारी सुविधाएँ ही नहीं बल्कि स्त्री–पुरुष की तरह मान-सम्मान भी मिलना चाहिए।

Last modified: 2021-06-24 00:56:20