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प्राचीन नगर बसंतगढ़ (वसंतगढ़)

Journal: ANSH - JOURNAL OF HISTORY (Vol.3, No. 1)

Publication Date:

Authors : ;

Page : 105-115

Keywords : ;

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Abstract

बसंतगढ़ राजस्थान के सिरोही जिले के पिण्डवाडा उपखंड का छोटा सा गाँव है.यह स्थान राजस्थान के प्राचीनतम नगरो में से एक है प्राचीन समय से ही यह स्थान सांस्कृतिक एवं धार्मिक केंद्र रहा है. राजस्थान और गुजरात की लगती सीमा पर स्तिथ आबू क्षैत्र प्राचीन मानव सभ्यता का प्रमुख केंद्र रहा है. माउंट आबू पर स्तिथ ऋषि वसिष्ठ के आश्रम से ऋषि वसिष्ठ द्वारा यज्ञ करके परमार,प्रतिहार,सोलंकी(चालुक्य) और चौहान वंशो की उत्पति बताई जाती है. जो की किराडू के लेख में जानकारी मिलती है. इनमे से परमार शासको ने 7वी शताब्दी से लेकर 13वी शताब्दी के आस पास तक आबू क्षेत्र अर्थात अर्बुद मंडल पर शासन किया था. उनके शासन के समय के समय अर्बुद मंडल के कुछ गावं अथवा नगर जिसमे चंद्रावती, बसंतगढ़ , कासिन्द्रा और माउंट आबू के कई गाँव प्रमुख थे. चंद्रावती शूरुआत से ही परमार शासको की राजधानी रही और परमार प्रतापसिंह तक यह नगर परमारों के अधीन ही रहा. लेकिन इस बीच परमार शासको को चंद्रावती छोड़ बसंतगढ़ में शरण लेनी पड़ी थी. बसंतगढ़ चंद्रावती की सीमा पर स्तिथ प्राचीन और सांकृतिक और सुरक्षित नगर था. यहाँ पर वि.स.682 (625 ई.) का एक लेख प्राप्त हुआ था. प्राचीन समय में बसंतगढ़ को “वटनगर” और “वटपुर” के नाम से जाना जाता था. 7वी शताब्दी के आस पास यह एक समृद्ध नगर था और यह क्षैत्र गुर्जर प्रदेश के अंतर्गत आता था. उस समय इस क्षेत्र पर प्रतिहार शासक “राजिल्ल” का अधिकार था. जो गुर्जर प्रदेश के शासक “वर्मलात” का सामंत था. उस समय राज्जिल के आदेश पर यहाँ के एक व्यापारी ने बसंतगढ़ की पहाडियों पर क्षेमकरनी माता का मंदिर बनवाया था. जिसका बाद में

Last modified: 2021-09-23 13:46:39