वैश्वीकरण के संदर्भ में महिला चुनौतियाँ
Journal: Praxis International Journal of Social Science and Literature (Vol.5, No. 4)Publication Date: 2022-04-23
Authors : डॉ० विमलेश यादव; कुमारी लक्ष्मी;
Page : 90-94
Keywords : वैश्वीकरण; महिला; समाज; ग्रामीण; समस्या; उत्पीडन; चुनौती;
Abstract
समाज के किसी वर्ग में महिलाओं की वास्तविक स्थिति और उनकी समस्याओ का अध्ययन उनकी पारिवारिक संरचना में ही संभव है। यह तो निर्विवाद तथ्य हैं कि लैंगिक असमानता के व्यावहारिक कारणों से महिलाओं को अपने घर, परिवार और समाज में विशिष्ट भूमिका का निर्वहन करना पड़ता है। किसी भी राष्ट्र और समाज का विकास तभी संभव है जब समाज में महिलाओं और पुरुषों को समान अधिकार व अवसर प्राप्त हो । इन अधिकारो और अवसरो को कानून में सैद्धांतिक मान्यता के साथ-साथ समाज में व्यवहारिक स्वीकार्यता भी अनिवार्य है। भारतीय समाज विविधताओं से भरा हुआ पितृसत्तात्मक समाज है। इसमें सांस्कृतिक व धार्मिक आधार पर तो महिलाओं को पूजनीय और देवी का रूप माना जाता है, पर व्यावहारिक रूप में उनकी स्थिति बहुत ही निम्न दर्जे की है। भारतीय सामाजिक संरचना महिलाओं को शिक्षा, सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक बहुत से अधिकारों से वंचित कर देती है। उनकी स्वतंत्रता को सीमित कर देती है, वे आर्थिक और सामाजिक रूप में ही नहीं अपितु असमानता और पिछड़ेपन की भी शिकार होती है। उनके साथ होने वाला लैंगिक भेदभाव समाज में उनकी स्थिति को और दयनीय बनाता है। प्रस्तुत शोध कार्य में महिलाओ की वर्तमान वैश्वीकरण के संदर्भ में महिला चुनौतियाँ का अध्ययन वर्णात्मक सर्वेक्षण विधि द्वारा किया गया है।
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Last modified: 2022-04-28 10:22:44