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सांख्य-दर्शन में निरीश्वरवाद (सांख्यतत्त्वकौमुदी तथा युक्तिदीपिका के आलोक में)

Journal: Drashta Research Journal (Vol.1, No. 03)

Publication Date:

Authors : ;

Page : 38-46

Keywords : निरीश्वरवाद; प्रकृति; अव्यक्त; त्रिगुण; मूल तत्त्व;

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Abstract

षड्दर्शन में न्याय, वैशेषिक एवं वेदान्त (उत्तर मीमांसा) में ईश्वर को जगत् का रचयिता माना गया है, योगदर्शन में अनादिमुक्त पुरुषविशेष की लोककल्याणार्थ ईश्वर के रूप में कल्पना की गई है तो पूर्वमीमांसा ने केवल परमकरुणामय वैदिकेश्वर को माना है, परन्तु सांख्यदर्शन में ईश्वर की सत्ता पर प्रश्नचिह्न लगा है क्योंकि कपिल मुनि के सांख्यसूत्रों एवं ईश्वरकृष्ण की सांख्यकारिका में ईश्वर की स्वीकृति कहीं दिखाई नहीं देती।

Last modified: 2025-04-12 22:26:31