कौटिल्य अर्थशास्त्र के परिप्रेक्ष्य में मौर्यकालीन न्याय-व्यवस्था
Journal: Drashta Research Journal (Vol.1, No. 03)Publication Date: 2012.08.15
Authors : डाॅ॰ दिलबाग सिंह बिसला;
Page : 153-164
Keywords : न्याय-व्यवस्था; मौर्यकाल; न्यायालय; पैतृक संपत्ति;
Abstract
मौर्य साम्राज्य न्याय व्यवस्था के लिये प्रसिद्ध था। कौटिल्य का मत था कि उचित न्याय व्यवस्था करने के लिये सरकार द्वारा न्याय की समुचित व्यवस्था की जानी चाहिये। ताकि लोगों के जीवन और सम्पति की रक्षा की जा सके। कौटिल्य के अर्थशास्त्र के परिप्रेक्ष्य में तत्कालीन न्याय व्यवस्था का वर्णन करना शोध पत्र का मुख्य विषय है। मौर्य साम्राज्य में न्याय के लिये अनेक न्यायालयों की सत्ता थी। सबसे छोटे न्यायालय ग्रामों के थे। ग्रामिक ग्रामवृद्धों के साथ मिलकर अपराधियों को दण्ड देते थे, और उनसे जुर्माने वसूल करते थे। ग्राम के न्यायालय से ऊपर संग्रहण न्यायालय के अन्तर्गत 10 गाँव होते थे।
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Last modified: 2025-04-12 22:48:05