कुकुरमुत्ता - कथ्य और शिल्प
Journal: Swadeshi International Research Journal of Hindi Literature (Vol.1, No. 2)Publication Date: 2013-09-15
Authors : डाॅ॰ मनजीत कौर;
Page : 29-34
Keywords : छायावाद; प्रगतिवाद; पूंजीवाद; शोषण; प्रतीक; बिंब; अलंकार ।;
Abstract
महाकवि निराला कृत सुप्रसिद्ध कविता ‘कुकुरमुत्ता' एक यथार्थवादी, प्रगतिवादी कविता है । इसके अतिरिक्त कला की दृष्टि से यह एक प्रतीकात्मक कविता भी है । प्रस्तुत कविता में कुकुरमुत्ता सर्वहारा वर्ग अर्थात् साधारण जनता का प्रतीक है तथा गुलाब के फूल को पूंजीपति वर्ग अर्थात् समाज के अमीर लोगों के प्रतीक माना गया है । सामान्य शब्दों में कहा जा सकता है कि कुकुरमुत्ता शोषित तथा गुलाब शोषक-वर्ग के प्रतीक के रूप में इस कविता में उजागर होता है । इस कविता में कुकुरमुत्ता गुलाब को ललकारते हुये उसे यह बताना चाहता है कि समाज में उसके अत्याचार अधिक समय तक नहीं चलने वाले। वह (कुकुरमुत्ता) उसे एक न एक दिन समाप्त अवश्य कर देगा । कुकुरमुत्ता अपनी सर्वव्यापकता व्यक्त करने के लिये अपनी तुलना संसार की अनेक वस्तुआ से करता है ।
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Last modified: 2025-04-13 00:05:42