निराला के काव्य म मातृभूमि के रुप म शक्ति पूजा
Journal: Swadeshi International Research Journal of Hindi Literature (Vol.1, No. 2)Publication Date: 2013-09-15
Authors : ऋषि कुमार मणि त्रिपाठी;
Page : 55-56
Keywords : साहित्य; समाज; सशस्त्र विद्रोह ।;
Abstract
साहित्य समाज का दर्पण होता है, निराला के साहित्य पर भी तत्कालीन आजादी के आंन्दोलन का प्रभाव न पडा हो, ऐसा संभव नहीं। वस्तुतः सन 1882 में बंकिम चंद्र चटर्जी के लिखे आनंदमठ नामक उपन्यास का वंदेमातरम् गीत काफी प्रभावोत्पादक रहा। जिसमें मातृभूमि को महाशक्ति के रुप मे स्वीकार करने के साथ देवी से अपने स्फीत हुंकार से शत्रुदल को भयभीत करने तथा अंधकार की कारा से मुक्ति दिलाने की कामना की गई। निराला ने वर दे वीणा वादिनि! गीत मे मां सरस्वती से भारत वासियो के उर मे छाए घटाटोप अंधकार को दूर करने की प्रार्थना की है।
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Last modified: 2025-04-13 00:21:04