आज की हिंदी कविता और वैश्विक संवेदना
Journal: Swadeshi International Research Journal of Hindi Literature (Vol.1, No. 2)Publication Date: 2013-09-15
Authors : डाॅ. गीतू;
Page : 35-38
Keywords : वैश्विक संवेदना; छायावाद; उपभोक्तावाद ।;
Abstract
भूमंडलीकरण और वैश्वीकरण के दौर म आज सब कुछ तेजी से बदल रहा है। सारे समाज पर अर्थ और टेक्नोलाजी का दबाव दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। जिसका सीधा असर आज के साहित्य पर पड़ रहा है। साहित्य की अनेक विधाएं हैं। जैसे कहानी, कविता, उपन्यास, जीवनी, संस्मरण, आत्मकथा रेखाचित्र, डायरी, रिपोर्ताज इत्यादि। इन सभी विधाआ में कविता सबसे प्राचीन एवं उत्कृष्ट विधा है।
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Last modified: 2025-04-13 00:12:14