भारतीय समाज में सिनेमा और स्त्री
Journal: Praxis International Journal of Social Science and Literature (Vol.4, No. 6)Publication Date: 2021-06-17
Authors : अंजेश देवी;
Page : 62-68
Keywords : सिनेमा की अवधारणा; बाज़ारवाद; उपभोक्तावादी संस्कृति; भारतीय संस्कृति; पाश्चांत्यत संस्कृति;
Abstract
‘भारतीय समाज में सिनेमा और स्त्री' अपने आप में एक ज्वलंत विषय है। आज भारतीय सिनेमा अपने प्रसारण एवं कार्य शैली से किस पायदान पर खड़ा है और स्त्री को सिनेमा किस भूमिका में समाज के सामने पेश कर रहा है, यह किसी से छिपा नहीं है। भारतीय समाज पितृसत्तात्मकता को दर्शाता है लेकिन आज 21वीं सदी में पितृसत्ता के दायरे में रहकर काम करना मानो पैरों में बेड़ियाँ डालने के समान है। बाज़ारवाद और उपभोक्तावादी संस्कृति में स्त्री शोषण को इस लेख के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। स्त्री घर में हो या दफ्तर में, हर जगह शोषण का शिकार हो रही है। सिनेमा का बाज़ारवाद सामाजिकता की सभी सीमाएँ लाँघता नज़र आ रहा है स्त्री की बदलती छवि ग्लाबलाइजेशन का हिस्सा है परन्तु समाज अभी स्त्री की बदलती छवि स्वीकार करने में असमर्थ है।
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Last modified: 2021-06-19 17:01:15